राष्ट्रीय किसान मोर्चा के रूप में देश को मिलेगा तीसरा विकल्प
लखनऊ। सड़क के रास्ते अब संसद तक का रास्ता तय करने के लिए देश भर के किसानों ने मिलकर एक राजनैतिक पार्टी तैयार करने का मन बनाते हुए शनिवार 18 नवंबर को राष्ट्रीय किसान मोर्चा का गठन कर लिया। देश के पूर्व प्रधानमंत्री तथा किसानों के सबसे बड़े नेता रहे चौधरी चरण सिंह के आवास में शनिवार को एक अहम बैठक में लगभग 25 किसान संगठनों ने मिलकर सियासत में हल जोतने का मन बना लिया। किसान नेता तथा लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी सुनील सिंह का कहना है कि अब वो दिन आ गया है जब किसान जो अब तक दूसरे सियासी दलों को अपना सहयोग देकर सरकारें बनाया करता था अब ख़ुद सरकार बनायेगा। सियासी रणनीति तैयार करने के लिए इस मौके पर 11 सदस्य कोर कमेटी का भी गठन कर लिया गया जिसकी अध्यक्षता स्वयं चैधरी सुनील सिंह ही करेंगे।
चौधरी सुनील सिंह ने आह्वान किया कि किसानों को एकजुट होकर अपने हक़ के लिए आवाज बुलंद करनी होगी। किसानों की समस्या को लेकर विभिन्न विषयों पर लड़ाई लड़नी होगी। उन्होंने कहा कि किसानों के 13 महीने चले आंदोलन में हमें सिर्फ़ झूठे वायदे और तिरस्कार मिला। बदले में हमने अपने कई किसान भाइयों को खो दिया। संघर्ष कर रहे किसानों पर लखीमपुर में भाजपा नेता के बेटे ने अपने गाड़ी के पहियों तले रौंद दिया। आज़ाद भारत में सड़कों पर किसान आख़िर कब तक संघर्ष करता रहेगा? किसान परिवार के लोगों को आंदोलन में कब तक शहीद होते रहना पड़ेगा? आखिर कब तक किस मुख्य धारा का हिस्सा बनेगा?
किसानों को हर सियासी दलों ने ठगने का काम बखूबी किया
चौधरी सुनील सिंह ने कहा कि आज़ादी के 76 वर्षों बाद भी किसान की स्थिति जस की तस बनी हुई है। देश के किसानों को हर सियासी दल ने ठगने का काम बखूबी किया है यही कारण है कि हर राज्य में किसान आत्महत्या करने पर मजबूर है। अब किसान की सहनशक्ति समाप्त हो चुकी है इसलिए अब देश का किसान संघर्ष के साथ-साथ कलम और वोट की ताकत से अपने अधिकार लेगा और अपनी आने वाली पीढियां का भविष्य सवारेगा। सरकार कितना भी ज़ोर लगा ले हम भाईचारा नहीं बिगड़ने देंगे। अब किसान खेतों में हल जोतने के साथ-साथ देश की संसद में भी हल जोतने का काम करेगा ताकि देश का भविष्य खेतों की तरह लहलहा सके।
एमएसपी नही तो लोकसभा 2024 के चुनाव में वोट नहीं
चौधरी सुनील सिंह ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री रहे स्व. चौधरी चरण सिंह के आवास में हुई अहम बैठक में सभी किसानों से आह्वान किया कि इस बार एम.एस.पी नहीं तो लोकसभा 2024 के चुनाव में वोट नहीं। किसान की हक की लड़ाई इस बार ज्यादा मुखर होकर लड़ी जाएगी। किसान इस बार आर-पार की लड़ाई लड़ेगा क्योंकि किसान को ईडी एवं सीबीआई का डर दिखाकर ना तो डरा सकते हैं और नहीं पराजित कर सकते हैं किसान की हक की लड़ाई में जाति-पाति के बंधन को छोड़कर अपने हक की आवाज को बुलंद करना होगा, इसलिए किसानों को एकजुट होकर सड़क से संसद तक की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार रहना होगा।
इस अवसर पर मुख्य रूप से हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप सिंह हुड्डा को उपाध्यक्ष एवं संयोजक, रिशिपाल अंबावता राजनीतिक फ्रंट के संयोजक, हरि भाई पटेल तथा महिला मोर्चा संयोजन रवीना कुमारी को बनाया गया। मोर्चा की आगामी 10 दिसंबर को फरीदाबाद 15 दिसंबर को बाराबंकी तथा 23 दिसंबर को मेरठ ज़िले में एक विशाल सम्मेलन भी आयोजित कर रहा है।