मोहम्मद ज़ाहिद अख़्तर
भाजपा की रणनीति का शिकार हुए नीतिश के इस्तीफ़े ने दिखा दी अपनी मानसिकता
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। वह आज सुबह राजभवन पहुंचे और राज्यपाल राजेंद्र अरलेकर को अपना त्यागपत्र सौंपा। ऐसा माना जा रहा है कि आज ही वह भाजपा के साथ गठबंधन में नई सरकार बनाएंगे और 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। नीतीश के इस्तीफ़ा सौंपने से पहले सीएम आवास पर जेडीयू विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें सभी विधायकों को एनडीए में वापसी के बारे में सूचित किया गया। इसी के साथ 17 महीने की महागठबंधन सरकार का अंत हो गया।
वर्ष 2014 के बाद से भारतीय राजनीति का स्तर दिनो दिन गिरता नज़र आ रहा है। भारतीय जनता पार्टी राज्यों में अपनी सत्ता बनाने के लिए किसी भी स्तर तक जा सकती है इसकी एक मिसाल महाराष्ट्र की राजनीति में हम सबको देखने को मिला। पहले महाराष्ट्र और अब दूसरे नंबर पर बिहार। दरअसल 2024 का लोकसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी ख़ासकर नरेंद्र मोदी के लिए एक कांटों भरा रास्ता था इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। महाराष्ट्र और बिहार में दर्ज की हुई जीत का आंकड़ा इस बार उनकी गले की फांस बनता दिख रहा था। महाराष्ट्र में तोड़फोड़ करने के बाद बिहार मोदी और शाह दोनों के लिए दूसरा टारगेट था। बिहार में जदयू-आरजेडी गठबंधन को तोड़ने में आखिरकार भाजपा के चाणक्य को सफ़लता मिल ही गई। नीतिश बाबू के लिए दरवाज़े बंद करने वाली भाजपा ने झकमार कर आख़िरकार दरवाज़ा खोल ही दिया। उधर मर कर भी भाजपा के साथ न जाने वाले नीतिश बाबू जीते जी ही भाजपा की गोद में एक बार फिर से जा बैठे।
इस्तीफा देने के बाद नीतीश ने कहा कि ‘हमने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया और जो सरकार थी उसको भी समाप्त करने का प्रस्ताव हमने राज्यपाल को दे दिया। सभी लोगों की राय, अपनी पार्टी की राय, सब ओर से राय आ रही थी। हमने अपने लोगों की राय को सुन लिया और सरकार को समाप्त कर दिया है। पहले गठबंधन को छोड़कर नया गठबंधन बनाए थे, इधर आकर स्थिति ठीक नहीं लगी, इसीलिए हम लोगों ने आज इस्तीफ़ा दे दिया, अलग हो गए। हम लोग इतनी मेहनत करते थे और सारा क्रेडिट दूसरे लोग ले रहे थे। अब नए गठबंधन में जा रहे हैं। पहले जो पार्टियां एक थीं (जदयू और बीजेपी), आज फैसला करेंगी तो आगे बताएंगे’। वहीं राजभवन में नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां चल रही हैं।
इस पूरी घटनाक्रम को यदि हम बारीकी से देखने का प्रयास करें तो तस्वीर साफ़ है। नीतिश बाबू एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के मकड़जाल में फंस गए। दरअसल इंडिया एलायंस की इमारत तैयार करने में मुख्य भूमिका निभाने वाले नितिश भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के निशाने में चढ़ गए थे। भाजपा के चाणक्य माने जाने वाले केंद्रीय गृहमंत्री इंडिया एलायंस की हर चाल पर अपनी पैनी नज़र बनाये हुए थे शायद इसका एहसास इंडिया एलायंस के दिग्गज नेताओं को नहीं थी। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब नितिश बाबू अपनी बातों से या अपने वायदे से पलटे हों। जब-जब उनको मौका मिला भाजपा को जमकर कोसा और देखा गया कि कोसने के बाद भाजपा की गोद में जा गिरे। इस बार भाजपा से नाता तोड़ आरजेडी से गठबंधन कर सरकार बनाने पर भी उनका यही कहना था कि भाजपा के साथ काम करना मुश्किल हो रहा था इसलिए हमने गइबंधन तोड़ दिया। उधर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी बिहार के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद अपना हर क़दम फूंक-फूंक कर रख रहे थे।
नीतिश बाबू को तोड़ना उनके लिए बहुत मुश्किल नहीं था लेकिन इसका लाभ आरजेडी को न मिल जाए यह भी देखना ज़रूरी था। इस तोड़फोड़ के लिए एक बार ईडी को हथियार बनाया गया और नितिश बाबू के बेहद क़रीबियों पर शिकंजा कसना शुरू हो गया। नीतिश बाबू को आरजेडी से अलग होकर एक बार फिर से भाजपा से गठबंधन करने का पाठ पढ़ाने का काम जदयू के दो क़द्दावर नेता अशोक चौधरी तथा विजय चौधरी को सौंपा गया और फिर वही हुआ जिसका भाजपा को बसेब्री से इंतज़ार था। नीतिश बाबू ने फिर से पलटी मारी और रविवार की सुबह बिहार के राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया। मर कर भी भाजपा के साथ न जाने वाले नितिश कुमार जीते जी ही भाजपा की राजनीति का शिकार हो गए। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि बिहार राजनीति के पितामह लालू प्रसाद यादव और युवा नेता तेजस्वी यादव पलटूराम नीतिश कुमार पर कैसे पलटवार करते हैं। हालांकि बिहार की समझदार जनता को भी गंदी हो चुकी बिहार की राजनीति को कैसे साफ़ किया जाए इस पर विचार करना होगा।
बिहार विधानसभा में सीटों का एक आंकड़ा
बिहार में आरजेडी 79 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। बीजेपी के 78, जेडीयू के 45 और जितन माझी की ‘हम’ पार्टी के 4 विधायक हैं। इन तीनों दलों के विधायकों की कुल संख्या 127 है। बिहार विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 है। वहीं महागठबंधन में शामिल वाम दलों के 16 और कांग्रेस पार्टी के 19 विधायक हैं। एआईएमआईएम का 1 और एक निर्दलीय विधायक है। बिहार विधानसभा में महागठबंधन का संयुक्त आंकड़ा 114 बैठता है। यानी बहुमत से 8 कम। बता दें कि 2020 में जेडीयू और भाजपा ने गठबंधन में बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा था जिसके बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने थे जबकि भाजपा के दो डिप्टी सीएम बनाए गए थे। स्पीकर भी भाजपा का बना था। इसके बाद 2022 अगस्त में नीतीश कुमार एनडीए और बीजेपी से अलग हो गए थे और राजद के साथ महागठबंधन में शामिल होकर सरकार बनाई। वह मुख्यमंत्री बने और तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री।