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मोहम्मद ज़ाहिद अख़तर 
‘गिरते हैं शहसवार(घुड़सवार)ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ़्ल(छोटा बच्चा)क्या गिरे जो घुटनों के बल चले’ 
बड़े इंतेज़ार के बाद भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ने लोकसभा चुनाव 2024 का एलान आख़िरकार कर ही दिया। चुनाव का एलान होते ही राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज़ हो गई हैं। सियासी पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों का एलान करना शुरू कर दिया है। देखा जाए तो लोकसभा चुनाव 2024 का चुनाव सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी गठबंधन नेशनल डेमोक्रेटिक एलाएंस(एनडीए) और कांग्रेस गठबंधन इंडिया एलायंस दोनों के बीच करो या मरो की स्थिति बन चुकी है। जहां मोदी जी अपनी सत्ता की हैट्रिक लगाने की जुगद में साम दाम दंड भेद के सारे हथकंडे अपना रहे हैं तो वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी पार्टी का अस्तित्व बनाये रखने के लिए ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के ज़रीय मोहब्बत का पैगाम देने और देश की आवाम को एकजुट कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 400 पार का लक्ष्य यानी लगभग हर लोकसभा सीट से जीत की उम्मीद है तो वहीं कांग्रेस गठबंधन के लिए मोदी मैजिक के भ्रम को ख़त्म करने का अहम लक्ष्य है। इन सबके बीच लोकसभा की एक सीट जो इन दिनों सबसे ज़्यादा चर्चा का विषय बनी हुई है वो सीट है उत्तर प्रदेश में गांधी की परंपरागत सीट अमेठी और रायेबरेली। 

रायबरेली सीट से लोकसभा सांसद रहीं कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी राज्यसभा जा चुकी हैं यानी रायेबरेली से गांधी परिवार की ओर से प्रियंका गांधी वाड्रा लोकसभा प्रत्याशी हो सकतीं हैं। अमेठी की यदि हम बात करें तो इस सीट को लेकर अभी भी कांग्रेस के साथ-साथ अमेठी की जनता के लिए भी असंमजस की स्थिति बनी हुई है कि राहुल गांधी यहां से अपनी उम्मीदवारी घोषित करेंगे या नहीं। दशकों से अमेठी गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही है लेकिन वर्तमान भाजपा की सांसद तथा कद्दावर मंत्री स्मृति ईरानी फिलहाल राहुल गांधी को 2019 लोकसभा में परास्त कर अमेठी पर अपना वर्चस्व बना चुकी हैं। 

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी अपनी प्रतिद्धंदी स्मृति ईरानी से लगभग 55 हजारा वोटों से हार गए थे। राहुल गांधी को 4,08651 वोट हासिल हुए थे जबकि स्मृति ईरानी को 4,68,514 मत हासिल हुए थे। एक बार फिर गांधी परिवार की परंपरागत सीट अमेठी अपने नेता राहुल गांधी के नाम के एलान का बेसब्री से इंतजार कर रही है तो वहीं एक बार फिर स्मृति ईरानी राहुल गांधी को खुली चुनौती देती नजर आ रहीं हैं। उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 17 सीटों पर कांग्रेस अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर चुकी है।
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम फिलहाल सूची में नहीं आया है। यदि अमेठी से राहुल गांधी अपनी दावेदारी नहीं पेश करते हैं तो निश्चित तौर पर राहुल गांधी अपने राजनैतिक करियर की स्वयं हत्या कर बैठेंगे। 

भारत जोड़ो यात्रा के पहले दौर तथा भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दूसरे दौर के बाद से राहुल गांधी की देश भर में छवि बदली है इससे इंकार नहीं किया जा सकता। वे एक निडर और बेदाग़ राजनेता हैं इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता। मोदी को ही नहीं अदानी और अंबानी को भी खुली चुनौती देने का काम यदि कोई राजनैतिक व्यक्ति करता है तो उसका नाम राहुल गांधी ही है। उप्र में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की सबसे बड़ी ताकत राहुल गांधी का अमेठी से अपनी उम्मीदवारी घोषित करना है। उप्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय स्वयं इस बात को कह चुके हैं कि राहुल गांधी के लिए अमेठी का मैदान तैयार है और इस बार उनकी जीत एक रिकार्ड जीत साबित होगी और स्मृति ईरानी की हार एक रिकार्ड हार साबित होगी। 

अमेठी की जनता गांधी परिवार को अपने दिल में बसाती है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। अमेठी की जनता की माने तो उनका कहना है कि वर्ष 2019 में राहुल गांधी अमेठी से हारे नहीं थे बल्कि उन्हें हराया गया था। साफ़ है अमेठी जनता स्मृति ईरानी से ख़ुश नहीं है। जिस तरह से राहुल गांधी अमेठी की जनता के परिवार का हिस्सा बने हुए हैं उस तरह से स्मृति ईरानी आज तक वहां की जनता के दिल में बसने में नाकाम साबित हुई हैं। विकास की यदि बात करें तो जिस गांव को स्वयं उन्होंने गोद लिया था उसकी हालत जर्जर है। जिसका एक वीडियो भी काफी वायरल हो चुका है। 

यदि राहुल गांधी अमेठी से स्मृति ईरानी की ललकार को स्वीकारते हुए अपनी उम्मीदवारी घोषित करते हैं तो निश्चित तौर पर उनकी भारत जोड़ो यात्रा सार्थक साबित होगी। इतना ही नहीं कांग्रेस के साथ-साथ इंडिया गठबंधन को भी इसका बहुत बड़ा लाभ मिलेगा क्योंकि राहुल गांधी ही इंडिया गठबंधन के सेनापति हैं। सेनापति डर गया तो इंडिया गठबंधन मर गया। इसका निर्णय तो राहुल गांधी को ही लेना होगा। 

अपने लेख की शुरूआत मैंने एक शेर से की थी अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या शहसवार राहुल गांधी अमेठी से अपनी दावेदारी पेश करेंगे या एक तिफ़्ल (छोटा बच्चा) की तरह मैदान ए जंग से दूर रहेंगे। मेरी अपनी राय में राहुल गांधी को केवल अमेठी की जनता के सम्मान के लिए ही नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी तथा इंडिया गठबंधन जिसके सही मायने में सेनापति वे ही हैं के सम्मान के लिए स्वयं ही अपना नाम अमेठी से घोषित करना ही होगा। इतना ही नहीं प्रियंका गांधी वाड्रा को भी रायबरेली से अपना नाम स्वयं ही घोषित करना होगा।